पिता क्या है – पढ़िए पिता की महानता को
हमारे जीवन में हम हर चीज की एक परिभाषा पढ़ते हैं। ये परिभाषाएं तथ्य पर आधारित होती हैं। लेकिन भारत ऐसा देश है जहाँ कुछ परिभाषाएं भावनाओं से बन जाती हैं। जैसे प्यार की परिभाषा, भावनाओं की परिभाषा आदि। ऐसी ही एक परिभाषा मैंने भी “ पिता क्या है ?” के रूप में पिता पर कविता लिखने की कोशिश की है। पिता जो हमारी जिंदगी में वो महान शख्स है जो हमारे सपनों को पूरा करने के लिए अपनी सपनो की धरती बंजर ही छोड़ देता है। आइये पढ़ते हैं उसी पिता के बारे में :-
पिता एक उम्मीद है, एक आस है
परिवार की हिम्मत और विश्वास है,
बाहर से सख्त अंदर से नर्म है
उसके दिल में दफन कई मर्म हैं।
पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है
परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है,
बचपन में खुश करने वाला खिलौना है
नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है।
पिता जिम्मेवारियों से लदी गाड़ी का सारथी है
सबको बराबर का हक़ दिलाता यही एक महारथी है,
सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है
इसी से तो माँ और बच्चों की पहचान है।
पिता ज़मीर है पिता जागीर है
जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है,
कहने को सब ऊपर वाला देता है ए संदीप
पर खुदा का ही एक रूप पिता का शरीर है।
मेरा अभिमान पिता
मेरा साहस मेरी इज्जत मेरा सम्मान है पिता।
मेरी ताकत मेरी पूँजी मेरी पहचान है पिता।
घर की इक-इक ईट में शामिल उनका खून पसीना।
सारे घर की रौनक उनसे सारे घर की शान पिता।
मेरी शोहरत मेरा रूतबा मेरा है मान पिता।
मुझको हिम्मत देने वाले मेरा हैं अभिमान पिता।
सारे रिश्ते उनके दम से सारे नाते उनसे हैं।
सारे घर के दिल की धड़कन सारे घर की जान पित।
शायद रब ने देकर भेजा फल ये अच्छे कर्मों का।
उसकी रहमत उसकी नेमत उसका है वरदान पिता।
बचपन की यादें
आज भी वो प्यारी मुस्कान याद आती है।
जो मेरी शरारतों से पापा के चेहरे पर खिल जाती थी।
अपने कन्धों पर बैठाकर वो मुझे दुनिया की सैर कराते थे।
जहां भी जाते मेरे लिए ढेर सारे तोहफे लाते थे।
मेरे हर जन्मदिन पर वो मुझे साथ मंदिर ले जाते थे।
मेरे हर रिजल्ट का बखान पूरी दुनिया को बताते थे।
मेरी जिंदगी के सारे सपने उनकी आँखों में पल रहे थे।
मेरे लिए खुशियों का आशियाना वो हर पल बन रहे थे।
मेरे सपने उनके साथ चले गए मेरे पापा मुझे छोड़ गए।
अब आँखों में शरारत नहीं बस आंसू ही दीखते हैं।
एक बार तो वापस आ जाओ पापा।
हैप्पी फादर्स डे तो सुन जाओ पापा।
पापा तुम कितने अच्छे हो
पापा तुम कितने अच्छे हो।
बड़े हो गए इतने लम्बे।
मगर अभी मन से बच्चे हो।
पापा तुम कितने अच्छे हो।
दीदी के प्यारे मास्टर जी।
भैया के हो जिगरी दोस्त।
घोड़ा बनकर हमें बिठाते।
और खिलाते मक्खन टोस्ट।
जीवन की खुशियाँ मिल जातीं।
जब मिल जाते मम्मी-पापा।
पिज्जा बर्गर आइसक्रीम संग।
जब हम करते सैर सपाटा।
मम्मी तुम कितनी अच्छी हो।
पापा तुम कितने अच्छे हो।
मेरे प्यारे पिताजी
माँ ममता का सागर है
पर उसका किनारा है पिताजी
माँ से ही बनता घर है
पर घर का सहारा है पिताजी
माँ आँखों की ज्योति है
पर आँखों का तारा है पिताजी
माँ से स्वर्ग है माँ से बैकुंठ
माँ से ही है चारों धाम
पर इन सब का द्वारा है पिताजी
प्यारे पापा सच्चे पापा
प्यारे पापा सच्चे पापा
बच्चों के संग बच्चे पापा
करते हैं पूरी हर इच्छा
मेरे सबसे अच्छे पापा
पापा ने ही तो सिखलाया
हर मुश्किल में बनकर साया
जीवन जीना क्या होता है
जब दुनिया में कोई आया
उंगली पकड़कर सिखलाता
जब ठीक से चलना न आता
नन्हे प्यारे बच्चे के लिए
पापा ही सहारा बन जाता
प्यारे पापा सच्चे पापा
बच्चों के संग बच्चे पापा
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“मोना-गुरु” हर महिला की वो आभासी (वर्चुअल) सहेली है ,जो रोजमर्रा की हर मुश्किल का आसान हल तो देती ही है साथ ही अपनी सखियों को घर-संसार से जुड़ी हर बातों में आगे भी बनाये रखती है.